दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान मचे उत्तपात् में एक एसएचओ ने वहां की आपबीती सुनाई , उन्होंने बताया कि पहली बार कैसे उस समय दिल्ली पुलिस अपना जान बचाने में लगी हुी थी। उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद थाने के एसएचओ पीसी यादव ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि कैसे भीड़ ने उन्हें घेरकर मारा और पुलिस क्यों कुछ नहीं कर पाई।
एसएचओ पीसी यादव ने बताया कि हम लाल किले में तैनात थे जब कई लोग वहां घुस गए। हमने उन्हें लाल किले की प्राचीर से हटाने की कोशिश की, लेकिन वे आक्रामक हो गए। हम किसानों के खिलाफ बल प्रयोग नहीं करना चाहते थे, इसलिए हमने यथासंभव संयम बरता।
वहीं, डीसीपी नॉर्थ, दिल्ली के ऑपरेटर संदीप ने बताया कि कई हिंसक लोग अचानक लाल किला पहुंच गए। नशे में धुत किसान या वे जो भी थे, उन्होंने हम पर अचानक तलवार, लाठी-डंडों और अन्य हथियारों से हमला कर दिया। स्थिति बिगड़ रही थी और हिंसक भीड़ को नियंत्रित करना हमारे लिए बहुत मुश्किल था।
वहीं, आपकों बतां दें कि किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में दिल्ली पुलिस ने अभी तक 22 एफआईआर दर्ज की हैं। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि हिंसा में 300 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को हुई हिंसा में शामिल किसानों की पहचान करने के लिए कई सीसीटीवी फुटेज और तमाम वीडियो खंगाले जा रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हिंसा के बाद राजधानी में कई स्थानों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, खासकर लाल किले और किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है।
अतिरिक्त पीआरओ (दिल्ली पुलिस) अनिल मित्तल ने बताया कि मंगलवार को हुई हिंसा के मामले में अभी तक 22 एफआईआर दर्ज की गई हैं। उन्होंने बताया कि हिंसा में 300 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।
।